Grahan 2025 Date: अगले साल कब-कब लगेंगे ग्रहण? यहां नोट करें तारीख और सूतक का समय
सनातन शास्त्रों में निहित है कि चिरकाल में अमृत वितरण के दौरान स्वरभानु ने भी देवताओं की पंक्ति में बैठकर अमृत ग्रहण कर लिया था। उस समय सूर्य और चंद्र देव ने स्वरभानु को पहचान लिया था। तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का वध कर दिया था। इसके लिए सूर्य और चंद्र देव (Grahan 2025 Date) को राहु अपना शत्रु मानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Grahan 2025 Date: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण का विशेष महत्व है। अमावस्या तिथि पर सूर्य ग्रहण लगता है। वहीं, पूर्णिमा तिथि पर चंद्र ग्रहण लगता है। ग्रहण के दौरान राहु का प्रभाव पृथ्वी पर बढ़ जाता है। राहु और केतु मायावी ग्रह हैं। इसके लिए ग्रहण के दौरान मांगलिक कार्य करने की मनाही है। इसके साथ ही ग्रहण के समय खानपान से भी परहेज करने की सलाह दी जाती है। लापरवाही करने या बरतने से शारीरिक और मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है। हालांकि, बच्चे, वृद्ध एवं गर्भवती महिलाएं आवश्यकता पड़ने पर भोजन ग्रहण कर सकते हैं। आइए, साल 2025 में लगने वाले सूर्य और चंद्र ग्रहण के बारे में जानते हैं-
साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण
ज्योतिषियों की मानें तो साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को लगेगा। हालांकि, भारत में यह दिखाई नहीं देगा। अतः भारत में सूतक मान्य नहीं होगा। इस दिन चंद्र ग्रहण 05 घंटे 59 मिनट का रहेगा। चंद्र ग्रहण का समय प्रातः काल 09 बजकर 29 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 29 मिनट तक है।
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साल 2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण
ज्योतिषियों की मानें तो साल 2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण 07 सितंबर को लगेगा। भारत में यह दिखाई नहीं देगा। अतः सूतक मान्य नहीं होगा। इस दिन चंद्र ग्रहण 05 घंटे 24 मिनट का रहेगा। चंद्र ग्रहण का समय रात 08 बजकर 59 मिनट से लेकर देर रात 02 बजकर 24 मिनट तक है।
साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण
ज्योतिषियों की मानें तो साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को लगेगा। हालांकि, भारत में यह दिखाई नहीं देगा। अतः सूतक मान्य नहीं होगा। इसके बावजूद ग्रहण के दौरान शास्त्र नियमों का पालन करें। साथ ही ग्रहण के समय भगवान विष्णु के नामों का जप करें।
साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण
ज्योतिषियों की मानें तो साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को लगेगा। साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा। इसके लिए सूतक मान्य नहीं होगा। साधक ग्रहण के दौरान शास्त्र नियमों का पालन करें। सूर्य एवं चंद्र ग्रहण काल में जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु का ध्यान और मंत्र जाप करें। साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। इन मंत्रों के जप से जातक पर राहु की कुदृष्टि नहीं पड़ती है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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